२८।मंसिर

आशा राखछुन, जरुर मनमे लाग्तु, थारु समाज मे कहिया दहेज प्रथा भाग्तु,
आखिर काम चाहिँ थारुयुवा सवके, ससरारी से मोटर साइकल दान,! अन्कर सम्पती के आँख लग्या के, दारु भाङ्ग ख्या के देखावे लग्ना सान,!! दुई आत्मा के दुई अंश,(बेटाबेटी) गफसफके मजा लेवम कुछ सिखम,:समाज मे हेल बिकृती, सवके जडसे उखारीके फेकम,! पात्र सव, बिजय हे सुरेश,,।
बिजय :: सुरेश सर नमस्कार, कुन कछै, एकदम आज काल त बिसरया देल्हैस,सोझे, कतन्या छौरी मौगी नाके चौकवहै,।
#सुरेश :: ओहो नमस्कार बिजय सर, नहि छुहुन बिसरल, कुन कर्वी समाज के अखन कर रितिरिवाज देखिके कन्नी लाग्छे,।एक महर छौरी ना के फेसन देखछिन,! एक महर बेटा बला नाके घमण्ड, कुछुनी फुर्छे, सेहयासे कन्जान थारु खवास समाज के कुरिती बिकृती सवके समटे लगिन, आपन छुमाछोट लेखमे बेस्त रहछिन,माङ्गीके दान लेछी असल छेकी,?

#बिजय :: हव सर त्याँ सहिये कहछै, तर आज काल के थारु खवास समाज के कोन कहे जोगर नैय छे सर,! असल बात कहवहै उलटया नैय मजा हेवहै,। तर तोर सोच बिचारसे इटासमाज के उना आद् मी के बहुत चोट लाग्ते हेते, ककरा कह उ सर, हमरै त कखनो तोरना लेख देखिके सोच मे परि जेछिन, तर तोर ना बात के यदि समाज बुझे जन त बहुत असल सर, हमरु २ रा छौरी बच्चा छि, ओकर सियाके किनेके घर बसवी सेह्यासे कन्जान सोछ मे पर्ल छिहिन,।
#सुरेश :: हव बिजय सर, कुन कर्वेया त, आखिर मे आपन बाल बच्चा के, के दुखी देखे छाउछी,। सवकै असले घर वर खोजछी, धनी मनि आर असल बेवहारिक छौरा,फिर्भी बिहा हाविके बेटी बच्चा चाहे सास ससुर से हावोस, चाहे दरुवा भङ्ग्वा मरद से हावोस, अपमान अत्याचार सहै पर्छी,।तर आउ एथनै देखम नि, कि आपन सियान थारुखवास समाजमे पढ्ल लिखल जागिर तेह्रे बाईस, छाउतु पल्सर बाइक,! घरमे फुटानि कर्तु, चाहिँ हम्रा न्यु (R-50)मोटर बाइक,!! इना मे त सवसे बडी भुल कर्छे, धनिख ना सर,! बहुत फुटानि जे कि हमर सनक खान्दानी कोइ नि,! कम्पीटिसन चली रहल छे, चाहे जमिन बेचे काम नि परोस, तयो पाछु नहि ह ट् छे,। नि कोन सोच छे, तवे आपन सियान जुखना गरिब लाचार सव के बेटी बच्चा सव भारी बुझल जेछे,! आर खन से लापर्वाही छोडल जेछी ,जेकि आपन संस्कृति के भि भुलिके बिदेशी फेसन मे ओनल छि,,। ताकी कुन टा छौरा हमर पोसाक मे भुले (मन परावे,) सेहयासे आर गरिब घरके बेटी सव, बिना माँ बापु के सल्लाह से आप्ने मन परि से भाग्छी,। आर माँ बापु के नाँक क ट छि,। त इना वेवकुफ सव खन्दानी के के सम्झती बुझती,। समाजके रित आर समाजके बिकृती सव,,। सेहयासे कहवी त ककरा तयो मान बजारीके सन्देश देछिन,।

#बिजय :: ह सुरेश सर एकदम सहि कहलैस, तोर बात से बहुत ज्ञानी महान बुडवक सवके काँ ट बगन घोकते, आर दवा भि नैय पेते, यदि समये मे नैय कोइ बिचार कर्ती जन तं कि किने सर,,,! तब सर, एतन्या त कहिये देल्यास, आर एकटा बात पुछेमन,? फेरु रिसवहै कि कुन, अन्यथा गल्ती नहि सोची दिहयान, बुझेमन लाग्लिस, आर खुशी भि,।
#सुरेश ,:: खोइ बिजय सर, लागे नैय लागे, हमर ना बात बिचार समाजके आर त जखरै बित्छी वेहया जान्छी, लाग्वे कर्ती त कुन हेते सर, बुझती तब, नि गरिब के कुन बितिरहल छे, धनिख ना, आद मि, हमर त बाते अठपठा बिजय सर,। कुन बात छेकी जे सर, हमरा रिस उठेबला, ? बुझम नि त,?

#बिजय,:: बात कुछु नि कि सर, तोरा त बेटा छु, २ रा, मतर हमरु बेटी छि २ रा ,, त त्याँ बेटा बियवहै त, दान दहेज नैय लेवहै जे,नहि लेवहै त, हमरे ना बेटीके पुथव बनानी त, हेहेहे,!
#सुरेश,:: ओहो!! बिजय सर आव हमर लाठी हमरै मार्लैस, तहु ने,!! ले ले भ्या जेति नि ! जान्ले बुझले कुटुम्ब, आर झन असल नि, दान दहेज के प्रथा हटावे के त एकटा निश्कर्श हेलि नि ! बहुत खुशी लाग्ली, कि हमे तोर घरके लक्ष्मी हमर घरमे बाँस लेति बहुत खुशी हेवि,आशा राख सर, निराश मत हो, समये मे बोल्लैस,! जरुर सफल हेते तोर घरके चिर्खा हमर घरमे पजर्ते,। स्वागत कर्छुन, हमे तोर घर परिवार के,।
#बिजय,:: हव सर हमे ब डी भारी बिपत मे पर्ल छेन्हिछल,! आर बहुत दिनसे तोरा कहे ताखोन इटा बात, साथ रहिके भि, आपन मनके बात खोले नैय साकिरहल छेन्हिछल,। आजु हमे घर परिवार के इना बात सुनवी, कतन्या खुशी हेति आजु हमर आँख खुल्लेस, कि सङ्ग साथी मात्र हाविके नैय, बल्की समय अनुसार, भार भि थामे साके पर्छि कहिके,। आखिर मे तोर्हु सङ्गे बेटा छु, तब, कहनुस छल,। खुशी लाग्लिस,!! आर एकटा बात बुझिए लम नि त सर,!! यदि तोर रा छौरा मोटर साइकिल आर जग्गा के बात बोल्तु तब, किने हेति,!!?

#सुरेश, :: त्याँ चिन्ता नैय ले नि, बिजय सर, हमरा थाह छे हमर बेटा के तत,! यदि माङ्ग ती त, हमे छिहिन, नि, ओकरा जवाफ दिए बला ,! सिधे कहल जेति कि त्याँ कनियाँ रा के कुन देवहै,, ओखरु चाहिँ स्कुटी, काम त माङ्ग के बिसय मे, दुनु रा घरके बराबर हक पुगछे,। तवे दुई यो रा घरके मानुस, सुखी आर खुशी से चैन लेवे साक्छे,।सेहयासे, त्याँ चिन्ता मत ले, हमे आपन बे टाके सम्झवी आर बिश्वास छि कि हमर बे टा जरुर बुझती ,,,ओकरा मोटर साइकल, तयो तोर घरसे कुनु भि हालत मे नहि देल जेति, हमर तोर मे बिस्वास छि त, दुनिया कोन बोले नैय साक्ती,, ले त बिजय सर, बहुत खुशी लाग्लिस, हमरा, आजु से लगन कहिया राखवहै, आपन आपन घरमे सल्लाह मेधा करम, बडीदुर छिन, घर ज्या पर्ती,।।।
लेखक काे परिचय
सुरेश चौधरी ,
मोरङ्ग ग्रामथान लखन्तरी १ खुनियाँकटा थानटोल बासी, हाल कतार से इना सन्देश थारु समाज के बिकृतीके रुपमे फैलिरहल, दानदहेज प्रथा के कन्जान काल्पनिक, रहस्य राखिके, हमर मित्र बिजय चौधरी, के बाद बिवादके क्रममे पात्र के रुपमे राखनिस,। बिजय बहुत छि, मतर खुशी छिहिन। कि हमरसे हमर मित्र सदये बिजय हावोस, कहिके स्वागत सम्मान कर्छिन, साथे सवहैसे बिदा हेछुन, शुभरात्री शुभ साझ, शुभदिन साथे सबके दिलसे धन्यवाद,!